“रजत घोड़ा” में अपनी कलाकृतियां पेश करेंगे एक्ज़िम बैंक से सहयोग प्राप्त 20 राज्यों के 60 से अधिक दस्तकार
मुंबई, 25 जनवरी, 2025 – काला घोड़ा कला महोत्सव शुरू हो गया है। यह इसकी 25वीं वर्षगांठ है यानी रजत जयंती का वर्ष है। मुंबई के चर्चगेट स्थित क्रॉस मैदान में इसका उद्घाटन इंडिया एक्ज़िम बैंक की प्रबंध निदेशक सुश्री हर्षा बंगारी और काला घोड़ा असोसिएशन की अध्यक्ष सुश्री वृंदा मिलर ने किया। 25 जनवरी से 02 फरवरी, 2025 तक चलने वाले इस काला घोड़ा कला महोत्सव में आपको दिखाई देगी भारतीय कला और शिल्प समृद्ध विरासत और सशक्त होते ग्रामीण दस्तकार तथा ग्रासरूट उद्यम।
इंडिया एक्ज़िम बैंक भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है और पिछले एक दशक से विभिन्न शिल्पों के 3000 से ज्यादा मास्टर दस्तकार इससे लाभान्वित हो चुके हैं। इनमें से अधिकांश को डिजाइन और कौशल विकास प्रशिक्षण दिलाए गए हैं। भारत के हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों में बैंक ने 2017 में एक्ज़िम बाज़ार नाम से एक प्रदर्शनी की शुरुआत की थी। इसके जरिए भारत की पारंपरिक कलाओं और शिल्प को एक छत के नीचे लाया गया और मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, पुणे और कोलकाता जैसे विभिन्न शहरों में अब तक इसके 9 आयोजन किए जा चुके हैं। इनके जरिए इन दस्तकारों को ` 10.50 करोड़ के संस्थागत ऑर्डर मिल चुके हैं। भारतीय दस्तकारों, बुनकरों, हस्तशिल्पकारों के मार्केटिंग प्रयासों को और आगे बढ़ाने के क्रम में, बैंक ने मुंबई के प्रतिष्ठित काला घोड़ा कला महोत्सव के साथ साझेदारी की है, ताकि उन्हें एक बड़े मंच पर अपनी कला को प्रदर्शित करने का अवसर मिले।
भारत के हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र को सुदृढ़ करने में इंडिया एक्ज़िम बैंक की भूमिका की सराहना करते हुए काला घोड़ा कला असोसिएशन की अध्यक्ष सुश्री वृंदा मिलर ने कहा कि “प्रजेंटिंग पार्टनर के रूप में इंडिया एक्ज़िम बैंक का जुड़ना हमारे लिए हर्ष का विषय है। हम दोनों ही भारतीय कला और शिल्प के संवर्धन के साझा मूल्यों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं और हमारी साझेदारी का तीसरा साल इसकी जीती जागती मिसाल है। इन साझा प्रयासों से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने में निश्चित रूप से सहयोग मिलेगा।”
इंडिया एक्ज़िम बैंक की प्रबंध निदेशक सुश्री हर्षा बंगारी ने हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र के सशक्तीकरण की बैंक की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि “भारत का हस्तशिल्प उद्योग अधिकांशतः छोटे स्तर पर ही सीमित है और असंगठित है। लेकिन यह बड़ी मेहनत का काम है, जिसमें निर्यात की काफी संभावनाएं हैं। वहीं, हथकरघा पर काम करने वाले भारतीय दस्तकारों को उनकी हाथ की कताई-बुनाई और प्रिंटिंग के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। ये सब छोटे-छोटे गांवों और कस्बों से आते हैं और अपने हुनर को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाते रहते हैं। बहुत बार तो महिलाएं हस्तशिल्प और हथकरघा, दोनों हुनर जानती हैं और दोनों पर बराबर अधिकार से काम करती हैं। ये सब आज हमारे बीच हैं और हम समझते हैं कि यहां से होने वाली आय से उन्हें अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी सहयोग मिलेगा।
बैंक ऐसे दस्तकारों के साथ एक दशक से अधिक समय से मिलकर काम कर रहा है। काला घोड़ा कला महोत्सव के जरिए इन दस्तकारों को देश के हर हिस्से की खास चीजों को प्रदर्शित करने का एक मंच मिलता है। हमें खुशी है कि हम इस कला महोत्सव की रजत जयंती के अवसर पर इसका हिस्सा हैं, जिसकी थीम भी है- रजत घोड़ा।” इस महोत्सव में हम संपूर्ण भारत का सूक्ष्म रूप देख सकते हैं और मुझे उम्मीद है कि इसका हिस्सा बनने वाले इन दस्तकारों को भी अपने हुनर और रचनात्मकता के इस उत्सव में गर्व की अनुभूति हो रही होगी।“
इस आयोजन के जरिए व्यक्तिगत दस्तकारों और सूक्ष्म तथा ग्रासरूट उद्यमों को व्यवसाय की संभावनाएं बढ़ाने में सहयोग मिलेगा। हजारों की संख्या में आने वाले कला प्रेमियों के रूप में यहां इन उद्यमों को अपने उत्पादों के लिए वृहत बाजार मिलेगा। वे ग्राहकों से सीधे जुड़ सकेंगे, उन्हें भावी ऑर्डर मिलेंगे, उपभोक्ताओं की पसंद का पता चलेगा और उन्हें बाजार तथा उद्योग के नवीनतम ट्रेंड का पता चल सकेगा।
काला घोड़ा कला महोत्सव प्रदर्शनी मात्र नहीं है। यह नृत्य, संगीत, थिएटर, साहित्य, बाल कार्यशालाओं, सिनेमा जैसी तमाम सर्जनात्मक विधाओं का केंद्र है। मुंबई में 25 अलग-अलग स्थानों पर ये आयोजन होंगे। काला घोड़ा असोसिएशन द्वारा 1999 में इसकी शुरुआत की गई थी और आज यह मुंबई के कला केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित हो चुका है, जहां संग्रहालयों से लेकर गैलरियों और रचनात्मक लोगों से भरा परिवेश मिलता है। इस महोत्सव से होने वाली आय के जरिए इस असोसिएशन को देश की समृद्ध परंपरा को आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेजने में मदद मिलती है।
देश की शीर्ष वित्तीय संस्था, इंडिया एक्ज़िम बैंक की स्थापना भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार के वित्तपोषण, सुगमीकरण और संवर्धन के उद्देश्य से संसद के एक अधिनियम के माध्यम से की गई थी। बैंक अपने ग्रासरूट उद्यम विकास और मार्केटिंग सलाहकारी सेवाएं जैसे कार्यक्रमों के जरिए भारत के हस्तशिल्प और अन्य सर्जनात्मक उद्योगों को सहेजने के लिए प्रतिबद्ध है। बैंक दस्तकारों, मास्टर कारीगरों, स्वयं सहायता समूहों, गैर-सरकारी संगठनों, ग्रासरूट और सूक्ष्म उद्यमों को क्षमता विकास, व्यापार मेलों और प्रदर्शनियों में प्रतिभागिता करने और विदेशी खरीदारों तथा वितरकों की तलाश में मदद करते हुए उन्हें सहयोग प्रदान करता है। इस प्रकार, बैंक भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के साथ-साथ ग्रामीण उद्यमों के उत्थान और सतत आजीविका में भी योगदान देता है।
विस्तृत जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें:
श्री धर्मेंद्र सचान, महाप्रबंधक, इंडिया एक्ज़िम बैंक
21वीं मंज़िल, केंद्र एक भवन, विश्व व्यापार केंद्र संकुल, कफ़ परेड, मुंबई 400005
फोन: +91-22-22172336; ईमेल: grid[at]eximbankindia[dot]in