भारतीय निर्यात-आयात बैंक (इंडिया एक्ज़िम बैंक) ने “भारतीय ज्ञान परंपराः पर्यावरण और संपोषी विकास” विषय पर बैंक नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास), मुंबई के तत्वावधान में सोमवार, 10 मार्च, 2025 को हिंदी में सेमिनार का आयोजन किया। इस दौरान, पर्यावरण एवं सामाजिक कार्यकर्ता, पद्मश्री चैत्राम पवार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में वक्ताओं के रूप में श्री अरिंदम दासगुप्ता, संस्थापक और सीईओ, तामुल प्लेट्स मार्केटिंग प्रा. लि.; सुश्री जयमाला गुप्ता, संस्थापक, सामाजिक उद्यम अनूठी; श्री अपूर्व भंडारी, संस्थापक, संकल्पतरु; सुश्री निधि जम्वाल, वरिष्ठ पर्यावरण पत्रकार और डॉ. यामिनी शाह, सहायक निदेशक, स्कूल ऑफ सिविलाइज़ेशन, सोमैया विश्वविद्यालय, मुंबई उपस्थित रहीं।
इंडिया एक्ज़िम बैंक की प्रबंध निदेशक, सुश्री हर्षा बंगारी और उप प्रबंध निदेशक, सुश्री दीपाली अग्रवाल और पद्मश्री चैत्राम पवार ने अन्य अतिथियों और नराकास अध्यक्ष, श्री गिरीश थोरात के साथ सेमिनार का उद्घाटन किया। विभिन्न बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और बीमा कंपनियों, मुंबई स्थित नराकास उपक्रम की विभिन्न सदस्य संस्थाओं के वरिष्ठ अधिकारियों, मुंबई स्थित विभिन्न महाविद्यालयों के छात्रों और प्राध्यापकों ने इस सेमिनार में हिस्सा लिया।
सेमिनार के दौरान वक्ताओं ने पर्यावरण से लेकर भारतीय परंपराओं में निहित संपोषी जीवनशैली, समुदायों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों, स्थानीय महिलाओं को मूल्य शृंखला में शामिल करने के लिए स्थानीय कौशल विकास और संपोषी विकास में भारतीय भाषाओं की भूमिका पर विचार-विमर्श किया। पद्मश्री चैत्राम पवार ने महाराष्ट्र के धुले जिले में स्थित उनके गांव बारीपाड़ा में हुए काम को रेखांकित करते हुए बताया कि उनके गांव में 17 में से 16 सतत विकास लक्ष्य हासिल किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि जल, जंगल, ज़मीन, जन और पशुधन मानव अस्तित्व के लिए सबसे जरूरी हैं और भारतीय पारंपरिक ज्ञान तथा भारतीय गांवों में वो संसाधन हैं, जो संपोषी विकास के स्वप्न को साकार कर सकते हैं।
इस अवसर पर इंडिया एक्ज़िम बैंक की प्रबंध निदेशक, सुश्री हर्षा बंगारी ने कहा कि “हमारे ऋषि-मुनियों ने तो प्रकृति को माता के रूप में सम्मान दिया है। हमारी भारतीय पारंपरिक जीवनशैली में प्रकृति के साथ संतुलन स्थापित करने का सिद्धांत था। आज, जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है, तब भारत की पारंपरिक पद्धतियां और आधुनिक नवाचार प्रभावी समाधान दे सकते हैं।”
इंडिया एक्ज़िम बैंक का ‘तरु संकल्प’
वन क्षेत्र बढ़ाने और स्थानीय किसानों को संपोषी आजीविका प्रदान करने में योगदान देने के लिए इंडिया एक्ज़िम बैंक ने सेमिनार में आए प्रत्येक प्रतिभागी की ओर से दो-दो पौधे लगवाने की घोषणा की गई। बैंक द्वारा यह कार्य पौधारोपण कराने वाली सूचना प्रौद्योगिकी आधारित पर्यावरण केंद्रित संस्था “संकल्पतरु फाउंडेशन” के माध्यम से कराया जाएगा।
इंडिया एक्ज़िम बैंक और नराकास के बारे में
एक्ज़िम बैंक की स्थापना 1981 में संसद के एक अधिनियम के जरिए हुई थी और यह भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली संस्था है। एक्ज़िम बैंक ने चार दशकों से अधिक समय से भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश के वित्तपोषण, सुगमीकरण और संवर्धन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बैंक ग्रासरूट स्तर के दस्तकारों को सहायता प्रदान करते हुए भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में भी अपना योगदान देता है। वहीं, बैंक नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति केंद्र सरकार के कार्यालयों में राजभाषा हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत एक निकाय है।
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श्री नवेन्दु वाजपेयी, महाप्रबंधक, भारतीय निर्यात-आयात बैंक, केंद्र एक भवन, 21वीं मंज़िल, विश्व व्यापार केंद्र संकुल, कफ़ परेड, मुंबई। ईमेलः rajbhasha[at]eximbankindia[dot]in