10वें अफ्रीका-भारत भागीदारी दिवस पर भारत-अफ्रीका विकास सहयोग को मिली गति, 2030 तक व्यापार को 200 बिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य

आबिदजान, कोत दि’वार, 28 मई, 2025 – इंडिया एक्ज़िम बैंक ने अफ्रीकी विकास बैंक समूह (एएफडीबी) की वार्षिक बैठक के संबद्ध कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में ‘अफ्रीका-भारत भागीदारी दिवस’ (एआईपीडी) का आयोजन किया। इस वर्ष के एआईपीडी की थीम थी- ‘पूंजी प्रबंधन: अफ्रीका के संपोषी विकास को गति देने में भारत की भूमिका’। यह थीम अफ्रीका और भारत के बीच समावेशी एवं दीर्घकालिक विकास की दिशा में बढ़ती रणनीतिक और आर्थिक भागीदारी को रेखांकित करती है।

आबिदजान के कोत दि’वार में 28 मई, 2025 को आयोजित किए गए 10वें एआईपीडी 2025 के दौरान, इंडिया एक्ज़िम बैंक के ‘अफ्रीका के संपोषी विकास को बढ़ावा: भारत की भूमिका और अवसर’ शीर्षक वाले शोध अध्ययन का विमोचन किया गया। इसका विमोचन कोत दि’वार में भारत के राजदूत, डॉ. राजेश रंजन, वित्त मंत्रालय, कोत दि’वार के महानिदेशक श्री लैंसीने दियाबी, एएफडीबी की कार्यकारी निदेशक सुश्री क्यूनेड्सन मेटे, टाटा अफ्रीका कोत दि’वार के महाप्रबंधक एवं बोर्ड के सदस्य श्री विवेक सारस्वत और इंडिया एक्ज़िम बैंक की प्रबंध निदेशक, श्रीमती हर्षा बंगारी द्वारा किया गया।

अफ्रीका आज एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। तमाम वैश्‍विक व्यवधानों के बावजूद अफ्रीका की अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय मजबूती देखी जा रही है। वर्ष 2024 में जहां इस महाद्वीप की जीडीपी वृद्धि दर 3.7% रही, वहीं वर्ष 2025 में इसके 4.3% तक पहुंचने का अनुमान है, क्योंकि यह निरंतर क्षेत्रीय एकीकरण और संरचनागत सुधारों की दिशा में काम कर रहा है। युवाशक्ति और सस्टैनेबिलिटी पर बढ़ते फोकस के साथ अफ्रीका आने वाले समय में दीर्घकालिक समावेशी विकास की दिशा में अग्रसर है। 

इस अध्ययन में अफ्रीका में संपोषी और समावेशी विकास सुनिश्‍चित करने के लिए चार प्रमुख उपायों को चिह्नित किया गया है। एक, जलवायु-अनुकूल अवसंरचना में निवेश; दो, आर्थिक सुधार के लिए विपुल प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग; तीन, प्रतिस्पर्धी निजी क्षेत्र विकसित करना; और चार, अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (एएफसीटीए) जैसे तंत्रों के माध्यम से क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना। इस अध्ययन में इस बात पर बल दिया गया है कि इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए वित्तीय संसाधनों, नवोन्मेषी साझेदारियों और सुदृढ़ घरेलू नीतिगत फ्रेमवर्क की आवश्यकता है। 

इस अध्ययन में यह भी रेखांकित किया गया है कि अफ्रीका के विकास वित्तपोषण का भारी अभाव है, जिसे तत्काल पूरा करने की जरूरत है। इस अध्ययन के मुताबिक अफ्रीका के 495.6 बिलियन यूएस डॉलर के इस विकास वित्तपोषण अंतर का निधीयन 2030 तक वार्षिक आधार पर करने की जरूरत है। इसके लिए इस अध्ययन में संपोषी विकास के लिए दीर्घावधि पूंजी जुटाने हेतु मिश्रित वित्त, जीसीसी संप्रभु फंड जैसी भारत-अफ्रीका-खाड़ी देशों की त्रिपक्षीय साझेदारियां और हरित (ग्रीन) बॉन्डों का उपयोग, कार्बन बाजार और जलवायु के लिए ऋण स्वैप (डेट-फॉर-क्लाइमेट स्वैप) जैसे नवोन्मेषी उपाय करने की संस्तुति की गई है।   

इस अध्ययन में मुख्य रूप से यह कहा गया है कि अफ्रीका की इस विकास यात्रा में भारत एक स्वाभाविक और दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदार के रूप में उभर रहा है। यह भागीदारी साझा ऐतिहासिक संबंधों के साथ-साथ ऊर्जा, अवसंरचना, स्वास्थ्य, शिक्षा तथा डिजिटल नवाचार जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में परस्पर हितों के इर्द-गिर्द बुनी गई है। इस अध्ययन में, अफ्रीका में भारत के बढ़ते व्यापार और निवेश फुटप्रिंट के साथ-साथ ऋण-व्यवस्थाओं, क्षमता विकास कार्यक्रमों और तकनीकी सहायता के माध्यम से बढ़ते विकास सहयोग को एक प्रभावी दक्षिण-दक्षिण मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो पारंपरिक दाता-प्राप्तकर्ता संबंधों से भिन्‍न है।

अफ्रीका के साथ भारत की विकास भागीदारी पर 10वें अफ्रीका-भारत भागीदारी दिवस के दौरान पुनः बल दया गया। यह विकास भागीदारी मुख्य रूप से अवसंरचना, कृषि, स्वास्थ्य, डिजिटल नवाचार और स्वच्छ ऊर्जा जैसे पांच क्षेत्रों पर केंद्रित है। इस अध्ययन में इस भागीदारी को बनाए रखने में व्यापार और निवेश के सुगमीकरण के जरिए इंडिया एक्ज़िम बैंक द्वारा निभाई जा रही महत्त्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया गया है। बैंक द्वारा परियोजना वित्त, क्रेता ऋण और क्षमता विकास पहलों सहित विभिन्‍न वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स के माध्यम से व्यापार और निवेश को सुगम बनाया जा रहा है। ये प्रयास अफ्रीका के दीर्घकालिक समावेशी विकास में रणनीतिक विकास सहभागी के रूप में भारत की भूमिका को रेखांकित करते हैं। 

अध्ययन में कहा गया है कि इस भागीदारी में निहित संभावनाओं से तभी लाभान्वित हुआ जा सकता है, जब इस भागीदारी को परस्पर विश्‍वास आधारित एक ऐसे दीर्घकालिक सहयोग ढांचे के रूप में विकसित किया जाए, जो अफ्रीका के संपोषी, समावेशी और आत्मनिर्भर विकास की आकांक्षाओं को साकार करने वाला हो। 

विस्तृत जानकारी के कृपया संपर्क करें:

श्री डेविड सिनाटे, मुख्य महाप्रबंधक, शोध एवं विश्लेषण समूह, भारतीय निर्यात-आयात बैंक, 8वीं मंज़िल, मेकर चैंबर IV, जमनालाल बजाज मार्ग, नरीमन पॉइंट, मुंबई - 400021

फोनः +91-22-22860353, ई-मेलः dsinate[at]eximbankindia[dot]in