हम कौन हैं
हम एक्ज़िम बैंक, 1982 में स्थापित एक अनूठी संस्था हैं, जिसकी बुनियाद में इस प्रकार की संस्था की अवधारणा और जरूरत को लेकर दो दशक से अधिक लंबे समय का चिंतन-मंथन है। एक्ज़िम बैंक की स्थापना से पहले के दो दशकों में औद्योगिक और व्यापार परिदृश्य में उल्लेखनीय बदलाव देखे गए। पचास और साठ के दशक में भारत से प्राथमिक वस्तुएं और जूट और सूती कपड़ों जैसे पारंपरिक उत्पाद निर्यात किए जाते थे। वह ऐसा दौर था, जब माना जाता था कि भारत में अकेले घरेलू मांग में विस्तार ही आर्थिक विकास के इंजन के रूप में काम कर सकता है। क्योंकि निर्यात विस्तार के अवसर सीमित थे और निर्यात वृद्धि में मूलभूत बाधाएं (जैसे अपर्याप्त बुनियादी ढांचा) थी। विनिर्माण क्षेत्र इस सिद्धांत पर काम कर रहा था कि आयात करने के बजाय हम खुद उत्पादन बढ़ाकर औद्योगीकरण को बढ़ावा दें। यानी अपनी जरूरत का सामान हम खुद बना लें। परिणामस्वरूप, निर्यात क्षेत्र उपेक्षित रहा और भारत के जीडीपी में इसकी छोटी-सी हिस्सेदारी रही।
फिर भी, आयात के बजाय खुद विनिर्माण की रणनीति से भारत में औद्योगिक विकास प्रक्रिया ने गति पकड़ी और यह एक बड़े और विविध औद्योगिक आधार, विशेषकर इंजीनियरिंग उद्योग के विकास में सहायक रही। इसके अलावा, कई उभरते औद्योगिक उप-क्षेत्र भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी साबित हुए। भारत के निर्यात प्रोफाइल में बदलाव साठ के दशक में धीरे-धीरे शुरू हुआ, जब गैर-पारंपरिक विनिर्मित वस्तुओं और वैल्यू-ऐडेड उत्पादों की हिस्सेदारी बढ़ने लगी।
साल 1978-79 के आते-आते निर्यात-आयात बैंक की स्थापना का प्रस्ताव तैयार हो चुका था।इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा बैठकें बुलाई जाने लगथीं। इन बैठकों में इस बात पर सहमति बनी कि निर्यात केंद्रित एक अलग संस्था की जरूरत है, ताकि निर्यातकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उन्हें समुचित शर्तों पर ऋण प्रदान करने के लिए नए तरीके ईजाद किए जा सकें। और यह संस्था निर्यात योग्य उत्पादन के लिए आवश्यक निवेश वित्त की जरूरतें भी पूरी कर सके।
1980 तक, इंजीनियरिंग सामान का निर्यात बढ़कर भारत के कुल निर्यात का 13 प्रतिशत हो गया और परियोजना निर्यात में भी उछाल देखा गाया। परियोजना निर्यातकों की ओर से किसी एक्ज़िम बैंक की मांग बढ़ने लगी। वाणिज्य मंत्रालय से इसे जोरदार समर्थन मिला और निर्यात प्रोत्साहन पर बढ़ते जोर ने मिलकर सरकार को इस बारे में अंतिम निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद, 18 जून, 1980 को तत्कालीन वित्त मंत्री श्री आर. वेंकटरमन ने संसद में अपने बजट भाषण में एक्ज़िम बैंक की स्थापना के निर्णय की घोषणा की।
इस प्रकार, भारत के लिए एक विशेष निर्यात ऋण एजेंसी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए भारत के आर्थिक विकास में अंतरराष्ट्रीय व्यापार की भूमिका को लेकर दो दशकों के विमर्श के बाद भारतीय निर्यात-आयात बैंक की स्थापना हुई।
नेतृत्व
निदेशक मंडल
एक्ज़िम बैंक का नेतृत्व बोर्ड स्तर से होता है। निदेशक मंडल में एक अध्यक्ष, एक प्रबंध निदेशक, दो उप प्रबंध निदेशक होते हैं; भारतीय रिज़र्व बैंक; आईडीबीआई बैंक लिमिटेड और ईसीजीसी लिमिटेड, प्रत्येक से नामित एक निदेशक; केंद्र सरकार द्वारा नामांकित 12 निदेशकों में से, 5 निदेशक केंद्र सरकार के अधिकारी; वाणिज्यिक बैंकों से अधिकतम 3 निदेशक; और अधिकतम 4 निदेशक निर्यात/आयात या वित्तपोषण में अनुभव वाले प्रोफेशनल होते हैं।