2030 तक भारत के निर्यात लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एमएसएमई क्षेत्र की संभावनाओं को भुनाना: एक्ज़िम बैंक का अध्ययन

प्राथमिक सर्वेक्षण और द्वितीयक शोध पर आधारित एक्ज़िम बैंक का अध्ययन, निर्यात में एमएसएमई की भागीदारी को प्रभावित करने वाली चुनौतियों की पहचान करता है, जिनमें निर्यात अवसरों की जानकारी का अभाव, विदेशी वितरकों, एजेंटों और ग्राहकों के साथ संबंधों का अभाव; विपणन संबंधी चुनौतियाँ, निर्यात के लिए वित्तीय सहायता/योजनाओं के बारे में जागरूकता का अभाव, और निर्यात बाज़ारों में नियमों के अनुपालन में चुनौतियाँ आदि शामिल हैं।

यह अध्ययन भारत के आर्थिक उत्पादन और निर्यात में एमएसएमई की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है। डीजीसीआईएंडएस के आंकड़े, जो भारतीय एमएसएमई की उद्यम और आईईसी स्थिति का उपयोग करते हैं, दर्शाते हैं कि एमएसएमई द्वारा प्रत्यक्ष निर्यात 2023-24 के दौरान 127.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो वर्ष के दौरान भारत के व्यापारिक निर्यात का लगभग 29.2% है। इसमें एमएसएमई से उत्पाद प्राप्त करने वाले व्यापारियों के माध्यम से अप्रत्यक्ष निर्यात शामिल नहीं है। तदनुसार, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष निर्यात सहित, निर्यात में एमएसएमई का समग्र योगदान अधिक होने की संभावना है। एमएसएमई मंत्रालय, भारत सरकार (जीओआई) के अनुसार, 2022-23 के दौरान भारत के व्यापारिक निर्यात में चुनिंदा एमएसएमई-संबंधित उत्पादों के निर्यात का हिस्सा 43.6% था।

यह स्वीकार करते हुए कि एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए वित्त एक महत्वपूर्ण कारक है, अध्ययन भारत में एमएसएमई वित्तपोषण के परिदृश्य की जाँच करता है। अध्ययन में पाया गया है कि एमएसएमई को ऋण प्रवाह में लगातार वृद्धि देखी गई है, मार्च 2023 के अंत तक सभी वित्तीय संस्थानों द्वारा इस क्षेत्र में कुल ऋण प्रवाह ₹27.8 लाख करोड़ होने का अनुमान है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) ने इस क्षेत्र में ऋण प्रवाह का सबसे बड़ा हिस्सा दिया। 2020-21 से 2022-23 के दौरान, एससीबी द्वारा एमएसएमई को ऋण संवितरण में 24.1% की मजबूत सीएजीआर दर्ज की गई। एनबीएफसी और अन्य वित्तीय संस्थान, टीआरईडीएस जैसे प्लेटफॉर्म के साथ, एमएसएमई की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए वित्तपोषण के स्रोतों में विविधता लाने का काम करते हैं।

अध्ययन के विश्लेषण से पता चलता है कि उद्यम-पंजीकृत एमएसएमई में से केवल 1% ही वर्तमान में निर्यात कर रहे हैं। एमएसएमई की निर्यात-भागीदारी बढ़ाने के लिए, अध्ययन एक समग्र दृष्टिकोण का सुझाव देता है जिसका लक्ष्य विपणन प्रयासों का समर्थन करना, वित्तपोषण अंतराल को पाटना, निर्यात क्षमता (तकनीकी उन्नति सहित) को बढ़ाना, सहायता कार्यक्रमों और संस्थानों को मज़बूत करना और ई-कॉमर्स जैसे नवीन तरीकों को बढ़ावा देना है। अध्ययन इस बात पर ज़ोर देता है कि इन बहुआयामी हस्तक्षेपों के माध्यम से एमएसएमई की क्षमता को उजागर करना भारत सरकार के 2030 तक 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।

भारत सरकार के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव, श्री एम. नागराजू द्वारा 30 अप्रैल, 2025 को नई दिल्ली में एक्ज़िम बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक कार्यक्रम "एशियाई विकास बैंक के साथ व्यावसायिक अवसरों पर संगोष्ठी" के दौरान "एमएसएमई क्षेत्र से निर्यात को बढ़ावा देना" शीर्षक से अध्ययन जारी किया गया।


इस कार्यक्रम में सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, बैंकों, वित्तीय संस्थानों, शिक्षाविदों, थिंक-टैंक और गैर-सरकारी संगठनों के वक्ताओं ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान, एक्ज़िम बैंक और एडीबी के प्रतिनिधियों ने विभिन्न क्षेत्रों में एडीबी द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं में अवसरों, एडीबी खरीद प्रक्रियाओं, एडीबी सलाहकार भर्ती प्रक्रियाओं, भारत सरकार द्वारा समर्थित एक्ज़िम बैंक के ऋण कार्यक्रम के अंतर्गत अवसरों और एक्ज़िम बैंक के वित्तपोषण कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्रदान की।