ईडीबी-इंडिया एक्ज़िम बैंक द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वेबिनार में भारत और मध्य एशिया आर्थिक सहयोग के जरिए स्वाभाविक तालमेल और व्यापार वित्त की संभावनाओं पर हुई चर्चा
अल्माटी, मुंबई, 10 सितंबर 2025. यूरेशियन डेवलपमेंट बैंक और इंडिया एक्ज़िम बैंक ने क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल की है। दोनों संस्थाओं ने मिलकर 10 सितंबर, 2025 को एक संयुक्त वेबिनार का आयोजन किया। यह दोनों संस्थाओं के बीच पहली साझी पहल है। यह वेबिनार, भारत और मध्य एशियाई क्षेत्र के बीच आर्थिक और वित्तीय संबंधों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक रणनीतिक प्रयास है। इस सहयोग का उद्देश्य व्यापार, निवेश और विकास वित्त जैसे क्षेत्रों में परस्पर तालमेल बढ़ाना और दोनों क्षेत्रों की आर्थिक साझेदारी को नए आयाम देना है।
यह वेबिनार ‘परस्पर संबंधों को सुदृढ़ बनाना: भारत-मध्य एशिया व्यापार बढ़ाने में व्यापार वित्त की भूमिका’ विषय पर आयोजित किया गया। इस वेबिनार में व्यापार वित्त के जरिए इस क्षेत्र में सहयोग और आर्थिक विकास के नए अवसरों की संभावनाओं पर चर्चा की गई। यद्यपि भारत और मध्य एशिया के बीच व्यापार में लगातार वृद्धि देखी गई है, तथापि अब भी इस व्यापार को बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। दोनों क्षेत्रों को सीमा-पार व्यापार और वित्तीय साझेदारियों को बढ़ाकर सुदृढ़ आर्थिक सहयोग से बड़ा लाभ मिल सकता है।
ईडीबी के मैनेजमेंट बोर्ड के अध्यक्ष, श्री निकोलाइ पोडगूज़ोव ने कहा, “बैंक के रूप में हम, विभिन्न क्षेत्रों और मुद्राओं में लगभग 2.5 बिलियन डॉलर का वार्षिक वित्तपोषण प्रदान करते हैं। इसमें हमारा रणनीतिक फोकस मध्य एशिया पर है, जहां हमारा पोर्टफोलियो लगभग 9 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। व्यापार को बढ़ावा देने के लिए हमारा एक प्रमुख उपकरण है व्यापार वित्त, जिसमें साख पत्र (एलसी) और गारंटी जैसी सेवाएं शामिल हैं और ये हमारे कुल पोर्टफोलियो का 10% से अधिक हिस्सा हैं।” उन्होंने अपने वक्तव्य में उल्लेख किया कि ईडीबी अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के साथ मिलकर परियोजनाओं का सह-वित्तपोषण करता है और रियायती फंडिंग के लिए निर्यात ऋण एजेंसियों का सहयोग करता है। “वित्तपोषण संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के साथ-साथ हमारा उद्देश्य भारत और मध्य एशिया के बीच एक स्थिर और दीर्घकालिक व्यापार का मार्ग प्रशस्त करना है।” भारत की ओर से हमें अन्य के साथ-साथ विद्युत उपकरणों, मशीनरी, परिवहन वाहनों और औषधीय उत्पादों जैसे क्षेत्रों में रुचि देखने को मिल रही है। वहीं, मध्य एशिया से खनिज ईंधन, उर्वरक, अकार्बनिक रसायन, कीमती रत्न और धातुओं के निर्यात की संभावनाएं बढ़ रही हैं। “इसलिए व्यापार और सहयोग के लिए भारत की ओर बढ़ना हमारे लिए लाभकारी है।”
इंडिया एक्ज़िम बैंक की प्रबंध निदेशक सुश्री हर्षा बंगारी ने वेबिनार में उपस्थित प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, कहा कि - “अंतरराष्ट्रीय व्यापार में व्यापार वित्त की भूमिका अहम होती है, क्योंकि लगभग 80% अंतरराष्ट्रीय व्यापार में किसी न किसी प्रकार के व्यापार वित्त के साधन का उपयोग ज़रूर होता है। तथापि महामारी, भू-राजनीतिक परिस्थितियां, बढ़ती संरक्षणवाद की प्रवृत्ति और सख्त वित्तीय परिवेश के चलते वैश्विक व्यापार वित्तपोषण अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है। इन चुनौतियों के समाधान के रूप में, एक्ज़िम बैंक हाल ही में शुरू की गई अपने विभिन्न पहलों के जरिए, ट्रेड ट्रांजैक्शनों में वित्तपोषण अंतर को कम करने और व्यापार को सुगम बनाने के प्रयास कर रहा है।
वेबिनार में एक नॉलेज शेयरिंग सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें ईडीबी और इंडिया एक्ज़िम बैंक के विशेषज्ञों ने भारत और मध्य एशिया के बीच व्यापार वित्त की संभावनाओं पर अपने विचार साझा किए। इस वेबिनार में इंडिया एक्ज़िम बैंक और यूरेशियन डेवलपमेंट बैंक का संयुक्त शोध अध्ययन ‘भारत और मध्य एशिया के बीच व्यापार एवं निवेश के अवसर तलाशनाः आर्थिक लाभ के नए अवसर’ का भी विमोचन किया गया। इस अध्ययन में गतिशील रूप से विकसित हो रहे आर्थिक क्षेत्रों यानी भारत और मध्य एशिया के बीच परस्पर लाभकारी सहयोग की उन संभावनाओं का विश्लेषण किया गया है, जिन्हें अब तक भुनाया नहीं जा सका है।
इस रिपोर्ट में भारत और मध्य एशिया को दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल किया गया है। पिछले 15 वर्षों में इन दोनों क्षेत्रों की अर्थव्यवस्थाएं लगभग दोगुनी हो गई हैं। वर्ष 2024 में कुल 522 बिलियन यूएस डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ मध्य एशिया की अर्थव्यवस्था तेज़ी से विकसित हो रही है और भविष्य में इसके और भी तेज़ी से बढ़ने की संभावनाएं हैं। वहीं, 2024 में 3.9 ट्रिलियन यूएस डॉलर के नॉमिनल जीडीपी के साथ, भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का कारण, यहां की बढ़ती घरेलू मांग और निवेश गतिविधियां हैं।
मध्य एशिया (जिसमें कज़ाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल हैं) भौगोलिक रूप से भू-आबद्ध (जिसकी कोई भी तटरेखा महासागर या किसी खुले समुद्र से नहीं मिलती है) होने के कारण दुनिया के प्रमुख व्यापारिक और आर्थिक केंद्रों से दूर है। देश की शुष्क जलवायु, सीमित संपर्क साधन, बाज़ार तक पहुंच की चुनौतियां, सीमित द्विपक्षीय सहयोग और व्यापार व परिवहन की अपर्याप्त व्यवस्थाओं के चलते, इस देश की अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्षमताएं काफी हद तक अदोहित हैं। तथापि, इस शोध अध्ययन में इन देशों के विशाल खनिज संसाधनों, विविधता की ओर बढ़ती उनकी अर्थव्यवस्थाओं और क्षेत्रीय सहयोग पर बढ़ते फोकस का भी उल्लेख किया गया है। अतः ये भू-आबद्ध देश, वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता रखते हैं।
एशिया और यूरोप को मिलाने वाला रास्ता मध्य एशिया से गुज़रता है। ऐसे में, मध्य एशिया अपनी रणनीतिक लोकेशन के कारण, भारत के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण भू-राजनीतिक क्षेत्र है। यह साझेदारी सुरक्षा, ऊर्जा और अन्य आर्थिक व वाणिज्यिक अवसरों जैसे कई साझा हितों को समेटे हुए है।
इस अध्ययन में, इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि भारतीय फर्मों के पास वित्तीय सेवाओं से लेकर कॉन्ट्रैक्टिंग, इंजीनियरिंग और प्रबंधन परामर्शी सेवाओं तक हर विशेषज्ञता और कुशल मानव संसाधन हैं, जो मध्य एशिया के बुनियादी ढांचे के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर, हॉस्पिटैलिटी और मेडिकल उपकरण जैसे विविध क्षेत्रों में निर्यातों और तकनीकी ज्ञान के विश्वसनीय स्रोत बनने की क्षमता है।
भारत और मध्य एशिया के देशों के बीच व्यापार में लगातार वृद्धि देखी गई है। यह व्यापार वर्ष 2023 में 1720.4 मिलियन यूएस डॉलर तक पहुंच गया। यह वृद्धि मुख्य रूप से भारत द्वारा मध्य एशिया से किए गए आयात के चलते हुई है। भारत से मध्य एशिया को किए गए कुल निर्यातों में औषधीय उत्पादों की हिस्सेदारी 37.9% की रही। इसके बाद अन्य के साथ-साथ विद्युत मशीनरी और उपकरण (12.1%), मशीनरी और यांत्रिक उपकरण (10.4%), खाद्य मांस (5%) और फल व मेवे (3.2%) जैसे उत्पाद शामिल रहे। वहीं, 2023 में भारत द्वारा मध्य एशिया से किए गए कुल आयातों में खनिज ईंधन और तेल की हिस्सेदारी 35.3% रही। इसके बाद उर्वरक (कुल आयातों की 21.3% की हिस्सेदारी के साथ) और अकार्बनिक रसायन (13%) प्रमुख आयातित वस्तुएं रहीं।
इस शोध अध्ययन में, भारत और मध्य एशिया के बीच सुदृढ़ आर्थिक सहयोग के लिए एक स्वाभाविक तालमेल प्रदान करने वाले कई प्रमुख क्षेत्रों में परस्पर पूरकता की स्थिति का भी उल्लेख किया गया है। इनमें वस्त्र उद्योग, कृषि व्यवसाय, फार्मासूटिकल्स, खनन, धातुकर्म और हाइड्रोकार्बन जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों के अलावा, इस शोध अध्ययन में अक्षय ऊर्जा, खनिज प्रसंस्करण, हेल्थकेयर, कृषि व्यवसाय और खाद्य प्रसंस्करण, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, निर्माण और केमिकल सेक्टर जैसे परस्पर पूरक और आर्थिक और वाणिज्यिक लाभ प्रदान करने वाले क्षेत्रों का भी उल्लेख किया गया है।
सुश्री हर्षा बंगारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि – “मध्य एशियाई देशों में प्राकृतिक संसाधनों के विपुल भंडार हैं। विशेष रूप से मध्य एशियाई देशों में पाए जाने के चलते इन क्षेत्रों में व्यापार के अनेक अवसर सृजित होते हैं। महाद्वीपों से जुड़ने के लिए मध्य एशिया एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है। ऐसे में, इसके लॉजिस्टिक्स और परिवहन इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया जाए तो मध्य एशिया में बहुत-सी व्यापार संभावनाएं मौजूद हैं। इंडिया एक्ज़िम बैंक की सहायता से भारतीय परियोजना निर्यातकों ने कज़ाकिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसे देशों में बुनियादी ढांचे के विकास और ऊर्जा उत्पादन व ट्रांसमिशन परियोजनाओं के कॉन्ट्रैक्ट हासिल किए हैं, जो मेज़बान देशों के आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं। इंडिया एक्ज़िम बैंक भारतीय कंपनियों को उनके अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय के प्रयासों और सहभागी देशों में उनकी उपस्थिति बढ़ाने के प्रयासों में निरंतर सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।
क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के अभाव के चलते, भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच, अन्य सहभागी देशों की तुलना में द्विपक्षीय सहयोग अब तक सीमित रहा है। तथापि, दोनों पक्षों द्वारा अक्षय ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा और फार्मासूटिकल्स, पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, लॉजिस्टिक्स और परिवहन, तथा पारंपरिक तेल और गैस जैसे क्षेत्रों में परस्पर सहयोग बढ़ाया जाए, तो इस साझेदारी के सुदृढ़ होने की उम्मीद है।
ईडीबी के मैनेजमेंट बोर्ड के अध्यक्ष, श्री निकोलाइ पोडगूज़ोव ने कहा, “हमें विश्वास है कि इंडिया एक्ज़िम बैंक के साथ मिलकर, हम भारत और मध्य एशिया के बीच व्यापार, निवेश और वित्तीय सहयोग की अपार संभावनाओं को भुना सकेंगे। मध्य एशिया की अर्थव्यवस्था उभरते बाज़ारों और वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में तेज़ी से बढ़ रही है। वर्ष 2000 से अब तक इन देशों की कुल जीडीपी में दस गुना से भी ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है। इनमें भारत के साथ व्यापार और निवेश की अपार संभावनाएं हैं। भारत और मध्य एशिया के बीच आर्थिक सहयोग के नए अवसर सृजित करने वाले इंटरनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर का विकास इस साझेदारी को और सुदृढ़ कर सकता है। बड़े पैमाने की इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए सरकारों, व्यवसायों, विशेषज्ञ समुदाय और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के संयुक्त प्रयास आवश्यक हैं।”
इस संयुक्त शोध अध्ययन में भारत और मध्य एशिया के देशों के बीच व्यापार और निवेश के अवसरों को बेहतर ढंग से उपयोग में लाने के लिए कई रणनीतियां सुझाई गई हैं। इनमें भारत और मध्य एशिया के बीच चिह्नित किए गए संभावित क्षेत्रों के आधार पर व्यापार को बढ़ावा देना, डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में सहयोग देना, संयुक्त उद्यमों और तकनीकी साझेदारी के जरिए बाजार में प्रवेश को आसान बनाना, व्यापार वित्त तक पहुंच सुनिश्चित करना और लॉजिस्टिक्स व परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए समन्वित प्रयास जैसे उपाय शामिल हैं। भारत और मध्य एशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को और अधिक सुगम और प्रभावशाली बनाने के उद्देश्य से इस शोध अध्ययन में सड़कों, रेल नेटवर्क, डिजिटल प्लैटफॉर्म और नीतिगत ढांचों जैसे हार्ड और सॉफ्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर फोकस करने की भी अनुशंसा की गई है।
उक्त संयुक्त शोध अध्ययन यूरेशियन डेवलपमेंट बैंक और इंडिया एक्ज़िम बैंक की वेबसाइटों पर उपलब्ध है।
अन्य जानकारी:
यूरेशियन डेवलपमेंट बैंक (ईबीडी) यूरेशिया में निवेश करने वाला एक बहुपक्षीय विकास बैंक है। पिछले 19 वर्षों से यह बैंक अपने सदस्य बैंकों के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने, आपसी संबंधों को सुदृढ़ बनाने तथा समग्र विकास को प्रोत्साहित करने के लिए काम कर रहा है। जुलाई 2025 तक ईडीबी के संचयी पोर्टफोलियो में 19.1 बिलियन यूएस डॉलर के निवेश के साथ 319 परियोजनाएं शामिल हैं। इनके पोर्टफोलियो में मुख्य रूप से ऐसी परियोजनाएं शामिल हैं, जिनका प्रभाव समेकित रूप से परिवहन इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल पद्धतियों, हरित ऊर्जा, कृषि, विनिर्माण और मैकेनिकल इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में पड़ता है। यह बैंक अपने परिचालनों में संयुक्त राष्ट्र के संपोषी विकास लक्ष्यों और ईएसजी सिद्धांतों का पालन करता है।
ईडीबी अपनी 2022–2026 रणनीति के अंतर्गत तीन मेगा-परियोजनाओं का निष्पादन कर रहा है: यूरेशियन परिवहन नेटवर्क, यूरेशियन कृषि उत्पाद वितरण पद्धति एवं मध्य एशियाई जल एवं ऊर्जा परिसर।
भारतीय निर्यात-आयात बैंक (इंडिया एक्ज़िम बैंक) की स्थापना 1981 में संसद के एक अधिनियम के अंतर्गत की गई थी और यह भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली संस्था है। बैंक, भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात और आयात का वित्तपोषण करने वाली संस्थाओं के कार्यों का समन्वय करने वाली प्रमुख वित्तीय संस्था के रूप में भी काम करता है। पिछले चार दशकों में इंडिया एक्ज़िम बैंक ने भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था से जोड़ने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है। बैंक ने भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश के संवर्धन, वित्तपोषण और सुगमीकरण के लिए विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं। बैंक ने अपने विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए भारतीय उद्यमियों को प्रतिस्पर्धी बनने और वैश्वीकरण के उनके प्रयासों में सहयोग प्रदान किया है।
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