एफएक्यू - लाइबोर परिवर्तन
- इंडिया एक्ज़िम बैंक लाइबोर परिवर्तन में बाजार के साथ है। इससे जुड़ी हर जानकारी ग्राहकों तक पहुंचाना लाइबोर परिवर्तन का अहम हिस्सा है। 2021 के बाद लाइबोर समाप्त हो गई है और हमारे ग्राहक इससे जुड़ी किसी भी जानकारी से अनभिज्ञ न रहें, इसके लिए हमने इससे संबंधित सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) तैयार किए हैं।
- 1. लाइबोर क्या है?
लाइबोर यानी लंदन इंटर-बैंक ऑफर्ड रेट। यह बेंचमार्क ब्याज दर है, जिस पर बैंक ऋण देते हैं और अंतरबैंक बाज़ार में एक-दूसरे से उधार लेते हैं। अंतरबैंक बाज़ार में अप्रतिभूतित (अनसिक्योर्ड) अल्पावधि उधारियों के लिए अनिवार्य रूप से इसी दर का इस्तेमाल किया जाता है। यह एडमिनिस्टर होती है इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) से, जो उपलब्ध ट्रांज़ैक्शन डेटा और अपने विशेषज्ञ जजमेंट का इस्तेमाल करते हुए पैनल बैंकों के सब्मिशन के आधार पर दरों की गणना करता है। यह यूएस डॉलर, यूरो, ब्रिटिश पाउंड, जापानी येन और स्विस फ्रैंक, इन पांच मुद्राओं में रोज़ाना प्रकाशित होती है। और इसकी सात मैच्योरिटी अवधियां होती हैं- ओवरनाइट, 1 सप्ताह, 1 महीना, 2 महीने, 3 महीने, 6 महीने और 12 महीने। विभिन्न डेरिवेटिव, बॉन्ड, ऋणों, प्रतिभूतिकरण (सिक्योरिटाइज़ेशन), जमाओं और उत्पादों के लिए प्रमुख ब्याज दर के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
- 2. लाइबोर परिवर्तन क्या है?
वैश्विक वित्तीय संकट के बाद लाइबोर के इस्तेमाल पर सवाल उठने लगे। विनियामकीय समीक्षाएं की गईं। पता चला कि बैंक अपने परिचालनों को लाइबोर पर जिस तरीके से फंड करते हैं, उसकी गणना वास्तविक ट्रांज़ैक्शन डेटा के बजाय पैनल बैंक अपने जजमेंट के आधार पर करते हैं।
वैश्विक विनियामक चाहते हैं कि ब्याज दर बेंचमार्क वास्तविक ट्रांज़ैक्शन पर आधारित हों, न कि विशेषज्ञों के जजमेंट पर, ताकि व्यवस्था सुदृढ़ और विश्वसनीय बनी रहे। इसी को ध्यान में रखते हुए यूके फायनैंशल कंडक्ट अथॉरिटी ने 2017 में घोषणा की कि सतत ब्याज दर बेंचमार्क प्रदान करने के लिए वे बाजार अब इतने सक्रिय नहीं रहे हैं, जिनसे लाइबोर आती है। इसलिए इसने घोषणा की कि इसने पैनल बैंकों से वचनपत्र ले लिया है कि वे अधिकतम 2021 के अंत तक के ही लाइबोर सब्मिशन करेंगे, इसके बाद नहीं।
हालांकि विनियामकों ने 2021 के बाद भी चुनिंदा अवधियों के लिए सिंथेटिक यूएसडी लाइबोर के प्रकाशन की अनुमति दी है, तथापि विनियामकों ने वित्तीय बाज़ारों को नियमित रूप से इसके लिए तैयार किया है कि उन्हें यह नहीं समझना चाहिए कि लाइबोर 2021 के बाद उपलब्ध रहेगी और नए तथा मौजूदा कॉन्ट्रैक्टों को वैकल्पिक बेंचमार्क दरों में परिवर्तित करना होगा।
यूएसडी लाइबोर के संबंध में, लाइबोर के एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में आईसीई बेंचमार्क एडमिनिस्ट्रेशन ने 30 नवंबर, 2020 को घोषणा की कि वह 30 जून, 2023 तक ओवरनाइट, एक, तीन, छह और 12 महीने की यूएसडी लाइबोर प्रकाशित करते रहने (इस व्यवस्था के साथ कि 31 दिसंबर, 2021 के बाद एक सप्ताह और दो माह की व्यवस्था को बंद कर दिया जाए) के प्रस्ताव पर परामर्श करना चाहता है। इसके साथ ही, कुछ अमेरिकी विनियामकीय एजेंसियों (यूएस रेगुलेटर्स) ने एक स्टेटमेंट जारी किया कि बैंकों को 2021 के बाद ऐसे कॉन्ट्रैक्ट नहीं करने चाहिए, जिनमें यूएसडी लाइबोर का इस्तेमाल किया गया हो।
- 3. लाइबोर परिवर्तन के संबंध में भारत में विनियामकीय स्थिति
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने लाइबोर परिवर्तन के लिए एक योजना जारी की है। इसके अनुसार, बैकों / वित्तीय संस्थाओं को एक योजना तैयार करनी है, जिसका बोर्ड से अनुमोदित होना जरूरी है। इस योजना में संस्थाओं को अपने लाइबोर-लिंक्ड एक्सपोज़र का मूल्यांकन करने और वैकल्पिक संदर्भ दरें अपनाने सहित लाइबोर के समाप्त होने से उठने वाले जोखिमों के समाधान के उपाय करना जरूरी है। आरबीआई ने बैंकों / वित्तीय संस्थाओं को भी लाइबोर में नए कॉन्ट्रैक्ट न करने के लिए प्रोत्साहित किया है। साथ ही उन्हें कहा है कि वे भी अपने ग्राहकों को प्रोत्साहित करें कि 31 दिसंबर, 2021 के बाद वे ऐसे नए वित्तीय कॉन्ट्रैक्ट न करें, जिनमें बेंचमार्क के रूप में लाइबोर का इस्तेमाल किया गया हो। बल्कि वे ऐसे कॉन्ट्रैक्ट करें जिनमें किसी बहु स्वीकृत वैकल्पिक संदर्भ दर (आएफआर) का इस्तेमाल किया गया हो। यह अधिसूचना इस लिंक से देखी जा सकती है https://www.rbi.org.in/hindi/Scripts/Notifications.aspx?Id=6848&Mode=0 .
- 4. लाइबोर का विकल्प क्या होगा?
परिवर्तन की यह प्रक्रिया वैश्विक विनियामकों, व्यापार संगठनों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा मिलकर पूरी की जाएगी। अलग-अलग बाजारों में मौजूद विभिन्न उद्योग समूहों और कार्य समूहों को अपनी वैकल्पिक बेंचमार्क दर चिह्नित करनी होंगी और अपने बाज़ारों को उन दरों को अपनाने में उनका सहयोग करना होगा। जिस भी वैकल्पिक दर की संस्तुति की जाए, उसकी प्रमुख विशेषता यह होनी चाहिए कि वह दर डीप और लिक्विड बाजारों से वास्तविक ट्रांज़ैक्शन डेटा पर आधारित हो, ताकि इन्हें वर्तमान लाइबोर दरों के मुकाबले और अधिक सतत तथा सुदृढ़ बनाया जा सके।
नीचे तालिका में प्रत्येक लाइबोर मुद्रा के लिए संस्तुति की गईं वैकल्पिक संदर्भ दरें दी गई हैं, जो लगभग जोखिम मुक्त दरें हैं:
मुद्रा संस्तुति की गई वैकल्पिक संदर्भ दर एडमिनिस्ट्रेटर यूएसडी सोफर (सिक्योर्ड ओवरनाइट फायनैंसिंग रेट) फेडरल रिज़र्व बैंक ऑफ न्यूयॉर्क जीबीपी सोनिया (स्टर्लिंग ओवरनाइट इंडेक्स एवरेज) Bबैंक ऑफ इंग्लैंड यूरो €STR (यूरो शॉर्ट टर्म रेट) यूरोपियन सेंट्रल बैंक स्विस फ्रैंक सैरोन (स्विस एवरेज रेट ओवरनाइट) Sसिक्स स्विस एक्सचेंज जापानी येन टोना (टोक्यो ओवरनाइट एवरेज रेट) बैंक ऑफ जापान - 5. वैकल्पिक संदर्भ दरें (आरएफआर) कौनसी हैं और प्रत्येक वैकल्पिक संदर्भ दर की गणना कैसे की जाती है? ये आईबोर से अलग कैसे हैं?
लाइबोर परिवर्तन की तैयारी में, विभिन्न प्राधिकारणों, उद्योग निकायों और व्यापार संगठनों ने कुछ वैकल्पिक संदर्भ दरें चिह्नित की हैं। ये लाइबोर के स्थान पर लागू की जाने वाली संभावित दरें हैं और / अथवा इन्हें लेकर विचार किया जा रहा है कि बेंचमार्क दरों में कैसे सुधार लाया जा सकता है। ये ओवरनाइट दरें हैं, जो पारंपरिक रूप से बैकवर्ड-लुकिंग हैं, अर्थात इन्हें उस अवधि के बाद प्रकाशित किया जाता है, जिस अवधि से ये संबंधित हैं। वैकल्पिक संदर्भ दरों को लाइबोर के मुकाबले अधिक सुदृढ़ माना जा रहा है, क्योंकि ये निर्धारित दरें लाइबोर के मुकाबले मौजूदा बाज़ार में ट्रांज़ैक्शन के अधिक करीब हैं।
वैकल्पिक संदर्भ दरों की गणना अलग-अलग आधार पर की जाती है और लाइबोर के स्थान पर उपयोग करने के लिए सभी दरें एक समान नहीं हो सकतीं। लाइबोर उस अवधि से पहले की होती है, जिस अवधि से वह संबंधित होती है। लाइबोर और वैकल्पिक संदर्भ दरों के बीच प्रमुख अंतर निम्नलिखित हैं:
- लाइबोर विभिन्न अवधियों (ओवरनाइट, 1 सप्ताह, 1 माह, 2 माह, 3 माह, 6 माह, 12 माह) के लिए एक आवधिक दर है, जबकि वैकल्पिक संदर्भ दरें बिना अवधि वाली ओवरनाइट दरें हैं;
- लाइबोर फॉरवर्ड-लुकिंग है, जबकि वैकल्पिक संदर्भ दरें बैकवर्ड-लुकिंग हैं;
- लाइबोर में बैंक क्रेडिट के लिए प्रीमियम और टर्म लिक्विडिटी जोखिम होता है। इसके विपरीत आरएफआर संक्षिप्त अवधि की होती हैं, इसलिए सामान्यतया इनमें इस प्रकार का अतिरिक्त प्रीमियम या तो बहुत मामूली होता है या फिर नहीं होता, क्योंकि ये ओवरनाइट होती हैं और कभी-कभी सिक्योर्ड होती हैं; तथा
- प्रत्येक लाइबोर मुद्रा के लिए, वैकल्पिक संदर्भ दर अलग-अलग विशेषताओं वाली होगी और एक अलग आरएफआर एडमिनिस्ट्रेटर होगा, जबकि लाइबोर को सभी मुद्राओं के लिए एकल एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा एडमिनिस्टर किया जाता है।
- 6. फालबैक प्रावधान क्या हैं?
फालबैक कॉन्ट्रैक्चुअल प्रावधान होते हैं। ऐसे प्रावधान, जो स्प्रैड समायोजन के साथ संदर्भित लाइबोर दर से परिवर्तन का विकल्प देते हैं।
- 7. यदि आरएफआर में कोई अवधि संरचना (टर्म स्ट्र्क्चर) नहीं है, लेकिन लाइबोर में है, तो लाइबोर के लिए फालबैक के रूप में आरएफआर का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है?
आरएफआर ओवरनाइट ट्रांज़ैक्शन पर आधारित होती हैं और इसीलिए लाइबोर के विपरीत ओवरनाइट दरें हैं, जो विभिन्न अवधियों के लिए प्रकाशित की जाती हैं। ओवरनाइट आरएफआर पूर्णतः जोखिम मुक्त होती हैं या लगभग जोखिम मुक्त होती हैं। जबकि लाइबोर में बैंक क्रेडिट जोखिम प्रीमियम होता है और लिक्विडिटी तथा आपूर्ति एवं मांग में उतार-चढ़ाव जैसे अन्य कारक भी होते हैं। तदुपरांत, संबंधित आरएफआर के साथ समायोजन करने की जरूरत होती है, जिसका इस्तेमाल लाइबोर के फालबैक के रूप में किया जाना है।
“अवधि समायोजन” में अवधि दर से ओवरनाइट दर में परिवर्तन का ध्यान रखा जाएगा और इसमें समायोजित आरएफआर निर्धारित करने के लिए संभवतः आरएफर की दैनिक आधार पर कंपाउंडिंग शामिल होगी। डेरिवेटिव्स के लिए, अंतरराष्ट्रीय स्वाप और डेरिवेटिव संघ (आईएसडीए) ने निर्धारित किया है कि बकाया में कंपाउंडिंग व्यवस्था लागू होगी। इस प्रकार की पद्धति के परिणामस्वरूप समोयोजित आरएफआर निकलेगी, जो ब्याज अवधि शुरू होने से पहले पता चलने के बजाय संबंधित ब्याज अवधि के अंत में पता चलेगी।
इसके बाद, संबंधित लाइबोर और समायोजित आरएफआर में दर के अंतर का पता लगाने के लिए संबंधित समायोजित आरएफआर पर “स्प्रैड समायोजन” लागू होगा। डेरिवेटिव उत्पादों के लिए, आईएसडीए ने निर्धारित किया है कि लाइबोर के स्थायी रूप से समाप्त होने पर, स्प्रैड समायोजन की गणना संबंधित लाइबोर और समायोजित आरएफआर में पंचवर्षीय गत अवधि के मीडियन स्प्रैड पर की जाएगी। नकद उत्पादों के लिए, वैकल्पिक संदर्भ दर समिति (एआरआरसी) और स्टर्लिंग जोखिम मुक्त दर कार्य समूह (आरएफआरडब्ल्यूजी) ने भी इसी प्रकार की पंचवर्षीय मीडियन स्प्रैड समायोजन पद्धति के इस्तेमाल की संस्तुति की है।
- 8. इंडिया एक्ज़िम बैंक के लिए इन सुधारों के क्या मायने हैं?
ऐसे ग्राहक, जिनका एक्सपोज़र लाइबोर में है और यह एक्सपोज़र 2021 (या जून 2023, निश्चित यूएसडी लाइबोर व्यवस्थाओं के लिए) के बाद तक बना रहेगा, उनके मामले में लाइबोर के स्थायी रूप से समाप्त होने का जोखिम है। लाइबोर के समाप्त होने पर, हो सकता है कि लाइबोर एक्सपोज़र वाले ग्राहक अपने कॉन्ट्रैक्ट के लिए इच्छित अनुसार हेज न कर पाएं। इसके अलावा, यदि बाजार में मात्रा कम हुई तो परिवर्तन में देरी के नतीजतन लिक्विडिटी जोखिम बढ़ सकता है, इसका असर कॉन्ट्रैक्ट के पुनर्मूल्यनिर्धारण के रूप में सामने आ सकता है।
ग्राहकों को किसी भी कॉन्ट्रैक्ट के संबंधित लाइबोर से आरएफआर या सभी पक्षों में सहमत अनुसार किसी वैकल्पिक दर में परिवर्तन करने पर विचार करना चाहिए। यह कार्य संबंधित कॉन्ट्रैक्ट में सक्रिय परिवर्तन या समुचित फालबैक भाषा का उपयोग कर या किसी अन्य तरीके से किया जा सकता है। हमने इस संबंध में समुचित उपाय करने के लिए अपने ग्राहकों से चर्चा करनी शुरुआत कर दी है और यह जारी रहेगी।
हम अपने ग्राहकों को भी उनके लाइबोर-संबंधित एक्सपोजरों का मूल्यांकन करने और लाइबोर परिवर्तन से जुड़े जोखिमों तथा उनके कॉन्ट्रैक्टों एवं संबंधित व्यवसायों पर लेखा, कर और परिचालनात्मक प्रभावों सहित अन्य प्रभावों को समझने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इस संबंध में, परामर्श के लिए ग्राहक स्वतंत्र परामर्शदाताओं की सेवा लेने पर भी विचार कर सकते हैं।
- 9. किसी भी परिवर्तन का ग्राहकों पर कम से कम असर हो, इसके लिए इंडिया एक्ज़िम बैंक क्या कर रहा है?
इंडिया एक्ज़िम बैंक जानता है कि लाइबोर समाप्त होने का असर हमारे नए और मौजूदा, उत्पादों एवं सेवाओं पर होगा। साथ ही बैंक समझता है कि ग्राहकों सहित सभी पक्षों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर सावधान रहने की जरूरत होगी। बैंक विभिन्न उद्योग तथा विनियामकीय समूहों का सदस्य है और इस संबंध में होने वाले घटनाक्रम पर सक्रियता से नज़र रखे हुए है। इंडिया एक्ज़िम बैंक इस संबंध में उद्योग स्तर पर आने वाले परिवर्तनों के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान करता रहेगा।
इंडिया एक्ज़िम बैंक ने विस्तृत समीक्षा की है, जिसमें देखा गया है कि उत्पादों और सेवाओं में लाइबोर का इस्तेमाल कैसे किया गया है। बैंक इस स्थिति की निगरानी कर रहा है और आवश्यकतानुसार, ग्राहकों को समुचित जानकारी दी जाएगी।
इंडिया एक्ज़िम बैंक द्वारा इस संबंध में होने वाले परिवर्तनों से ग्राहकों को सूचित किया जाता रहेगा। विशेष रूप से उन मामलों में, जिनमें यह सुनिश्चित हो जाएगा कि कौनसी नई बेंचमार्क दरें अपनाई जा रही है, उनकी पद्धति क्या है, उनकी अवधि संरचना क्या है और उद्योग स्तर पर सहमत अनुसार परिवर्तन प्रक्रिया क्या है।
- 10. यदि मुझे लाइबोर परिवर्तन के संबंध में कुछ और जानकारी चाहिए तो कहां से मिलेगी?
हम इस पेज को समय-समय पर अपडेट करते रहेंगे और इस संबंध में होने वाले परिवर्तनों से आपको अवगत कराते रहेंगे। इस बीच, यदि आपको कोई अन्य जानकारी चाहिए तो आप कृपया अपने रिलेशनशिप मैनेजर से संपर्क कर सकते हैं। इंडिया एक्ज़िम बैंक द्वारा आपको उत्पादों और सेवाओं पर भी जानकारी प्रदान की जाती है।