माननीय सांसद (राज्यसभा), पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने किया नौवें एक्ज़िम बाज़ार का उद्घाटन
माननीय सांसद (राज्यसभा), पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने आज नई दिल्ली में नौवें एक्ज़िम बाज़ार का उद्घाटन किया। इस मौके पर इंडिया एक्ज़िम बैंक की प्रबंध निदेशक सुश्री हर्षा बंगारी के साथ-साथ वस्त्र मंत्रालय के सचिव श्री यू.पी. सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहे। यह बाज़ार नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित राष्ट्रीय शिल्प एवं हस्तकला अकादमी (वस्त्र मंत्रालय) में सजा है। इंडिया एक्ज़िम बैंक द्वारा आयोजित यह बाज़ार शनिवार, 3 सितंबर से मंगलवार, 6 सितंबर, 2022 तक चलेगा। इसमें न केवल देशभर के, बल्कि पड़ोसी देशों के भी पारंपरिक और समकालीन कला एवं शिल्प उत्पाद मिलेंगे।
भारत सरकार की ‘पड़ोसी देश प्रथम’ नीति के अनुरूप, पहली बार बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, नेपाल और श्रीलंका के दस्तकारों को भी इसमें आमंत्रित किया गया है। बाज़ार की रौनक भारत के पड़ोसी देशों की शिल्प कलाओं से और बढ़ गई है।
यह प्रदर्शनी इस मायने में भी महत्त्वपूर्ण है कि यह विभिन्न राज्यों के स्थानीय दस्तकारों को बढ़ावा देती है। भारत के हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र को सुदृढ़ करने में एक्ज़िम बाज़ार की भूमिका की सराहना करते हुए पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने कहा कि ““महामारी के कारण दस्तकारों के व्यवसाय बहुत प्रभावित हुए और उन्हें काफ़ी नुकसान झेलना पड़ा। तालाबंदी के दौरान वित्तीय और घरेलू तनाव को संभालना महिलाओं और उनके परिवारों के लिए विशेष रूप से मुश्किल रहा। दस्तकारों के काम और अपने पुरातन कला-शिल्प को प्रदर्शित करने के लिए एक्ज़िम बाज़ार जैसे अवसरों को बढ़ावा देना चाहिए।”
इस प्लैटफॉर्म के जरिए ग्रासरूट उद्यम किस तरीके से लाभान्वित हो सकते हैं, इस पर सुश्री बंगारी ने कहा, “हमें खुशी है कि हम, भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्षों के उपलक्ष्य में आज़ादी का अमृत महोत्सव को यादगार बनाने के क्रम में, भारतीय उप महाद्वीप के 75 दस्तकारों को एक साथ ला रहे हैं। दिल्ली के लोगों से मिली यह उत्सहाजनक प्रतिक्रिया हमारे लिए प्रेरणास्पद है। इंडिया एक्ज़िम बैंक द्वारा एक्ज़िम बाज़ार का आयोजन व्यक्तिगत स्तर पर काम करने वाले दस्तकारों के साथ-साथ सूक्ष्म और ग्रासरूट स्तर के उद्यमों के लिए व्यवसाय संभावनाएं बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाता है। इस प्रदर्शनी से दस्तकारों को अपने उत्पादों के लिए बाजार बढ़ाने और अपने ब्रांड को आगे बढ़ाने में भी मदद मिलती है। दस्तकारों का ग्राहकों से सीधे संपर्क स्थापित होता है और भविष्य में बिक्री के रास्ते खुलते हैं। साथ ही, उपभोक्ताओं की पसंद को समझने, उद्योग जगत से जुड़ी जानकारियां हासिल करने और नए रुझानों को जानने में भी मदद मिलती है।“
महामारी के दौरान बहुत से दस्तकारों और ग्रामीण उद्यमों की आय में गिरावट आई। ऐसे समय में, इंडिया एक्ज़िम बैंक ने उस कठिन समय में भी दस्तकारों को डिजाइन, उत्पाद और प्रशिक्षण कार्यशालाओं के जरिए सहायता प्रदान करते हुए एक उत्तरदायी वित्तीय संस्था के रूप में इन्हें सहयोग जारी रखा। यह एक्ज़िम बाज़ार भी दस्तकारों को अपना काम बढ़ाने के लिए मंच प्रदान करने में मदद करने की पहलों के क्रम में ही एक और प्रयास है।
दिल्ली में चल रहे इस एक्ज़िम बाज़ार में देशभर से विभिन्न दस्तकार और बुनकर अपने कला कौशल, प्रतिभाओं और तकनीकों से अपने हाथों से बनाई चीजें लेकर उपस्थित हुए हैं। इनमें से बहुत से दस्तकार तो राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पुरस्कृत हैं।
इस प्रदर्शनी में अन्य के साथ-साथ मधुबनी पेंटिंग, चमड़े की कठपुतली, वारली पेंटिंग, पिछवाई पेंटिंग, फुलकारी कढ़ाई, पट्टचित्र पेंटिंग, फड़ पेंटिंग, बनारसी सिल्क के कपड़े, लाख की चूड़ियां, कावड़ पेंटिंग, सरैमिक ब्लू पॉटरी, ढोकरा कला, टेराकोटा, जामदानी साड़ियां, घढ़वा धातु शिल्प जैसे कलात्मक उत्पाद प्रदर्शन और बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। इंडिया एक्ज़िम द्वारा निरूपित हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों की यह प्रदर्शनी-सह-बिक्री अपनी शुरुआत के बाद से पहली बार दिल्ली में लगी है।
एक्ज़िम बैंक को उम्मीद है कि इस प्रदर्शनी के जरिए बहुत से व्यक्तिगत स्तर पर काम करने वाले और सूक्ष्म तथा ग्रासरूट उद्यमों को अपना व्यवसाय बढ़ाने में मदद मिलेगी। हजारों की संख्या में आने वाले लोग इन दस्तकारों के काम से और अधिक वाकिफ होंगे और यह इन्हें अपने उत्पादों के ब्रांड को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी। साथ ही इनके लिए बिक्री के भावी रास्ते भी खुलेंगे।
इस अवसर पर, पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने ‘भारत की सृजनात्मक अर्थव्यवस्थाः चिंतन एवं विकास’ शीर्षक वाले एक्ज़िम बैंक के एक शोध पत्र का भी विमोचन किया, जिसमें भारत की सृजनात्मक अर्थव्यवस्था में व्यापार की संभावनाओं का विश्लेषण किया गया है। यह अपनी तरह का पहला शोध पत्र है। एक आकलन के अनुसार, यदि इस क्षेत्र का समुचित रूप से सदुपयोग किया जाए तो भारत से सृजनात्मक वस्तुओं का कुल निर्यात 20 बिलियन यूएस डॉलर से अधिक का हो सकता है, यानी इस क्षेत्र में वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। डॉ. मानसिंह ने भारत की पारंपरिक कलाओं के पुनरुत्थान के लिए एक्ज़िम बैंक द्वारा ग्रासरूट उद्यमों को प्रदान की गई सहायता पर आधारित सफलता की कहानियों के एक प्रकाशन का भी विमोचन किया।
“इंडिया एक्ज़िम बैंक अपने ग्रासरूट उद्यम विकास एवं मार्केटिंग सलाहकारी सेवाएं जैसे कार्यक्रमों के तहत दस्तकारों, मास्टर कारीगरों, बुनकरों, क्लस्टरों, स्वयं सहायता समूहों, गैर-सरकारी संगठनों, ग्रासरूट और सूक्ष्म उद्यमों को क्षमता विकास तथा विदेश में खरीदारों और वितरकों का पता लगाते हुए सहायता प्रदान करता है। इन कार्यक्रमों के तहत प्रदान की गई सहायता के जरिए वित्तीय सशक्तीकरण, रोजगार सृजन और दस्तकारों में उद्यमिता को बढ़ावा देने में मदद मिली है। साथ ही, ये कार्यक्रम सदियों पुराने पारंपरिक हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों को सहेजे रखने तथा इन्हें आगे बढ़ाने में भी सहायक हैं।
विस्तृत जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें:
श्री धर्मेंद्र सचान, महाप्रबंधक, ग्रिड एवं मास, इंडिया एक्ज़िम बैंक
8वीं मंज़िल, मेकर चैंबर IV, नरीमन पॉइंट, मुंबई 400 021
ई-मेल: grid@eximbankindia.in